HPS-A

Thursday 19 March 2015

TELUGU SUKTHULU 

    1. ఏ విషయమైనా కొత్తగా ఉన్నప్పుడే బాగుంటుంది.
      స్నేహం మాత్రం పాతబడినకొద్దీ బాగుంటుంది. 
      2.చదవడమంత చౌకగా లభించే వినోదమే లేదు.
      చదవడం వల్ల లభించే ఆనందం శాశ్వతమైనది
      3.మనిషి సాధించిన విజయాలు సమాజానికి ఉపయోగపడితే
      అవే నిజమైన విజయాలు
      4.అందరిలోనూ మంచినే చూడడం మనం నేర్చుకుంటే మనలోని మంచి పెరుగుతుంది

      5.చదరంగంలో మాదిరిగానే జీవితంలో కూడా
      ముందుచూపు ఎంతో అవసరం
      6.మానవుడు సృష్టించిన అద్భుతాలలో పుస్తకాలు మహత్తరమైనవి 
      7.ఏదైనా దురలవాటును వీలైనంత త్వరగా వదిలించుకోకపోతే అది అవసరంగా మారుతుంది
      8.అజ్ఞానం ఎప్పుడూ మార్పుకు భయపడుతుంది 

Thursday 12 March 2015

स्वामी विवेकानन्द के सुविचार

स्वामी विवेकानन्द के सुविचार  

* 1. उठोजागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये ।

* 2. जो सत्य हैउसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहोउससे किसी को कष्ट होता है या नहींइस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती हैऔर उन्हें बहा ले जाती हैतो ले जाने दोवे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही है।

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* 3. ज्ञान स्वयमेव वर्तमान हैमनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।


* 4. मानव-देह ही सर्वश्रेष्ठ देह हैएवं मनुष्य ही सर्वोच्च प्राणी हैक्योंकि इस मानव-देह तथा इस जन्म में ही हम इस सापेक्षिक जगत् से संपूर्णतया बाहर हो सकते हैंनिश्चय ही मुक्ति की अवस्था प्राप्त कर सकते हैंऔर यह मुक्ति ही हमारा चरम लक्ष्य है।


* 5. हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती हैउतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता हैऔर उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है।


* 6मन का विकास करो और उसका संयम करोउसके बाद जहाँ इच्छा होवहाँ इसका प्रयोग करोउससे अति शीघ्र फल प्राप्ति होगी। यह है यथार्थ आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखोऔर जिस ओर इच्छा होउसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता हैवह अंश को भी प्राप्त कर सकता है।


*  7. पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लोउसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो। प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो।

*  8. तुमने बहुत बहादुरी की है। शाबाश! हिचकने वाले पीछे रह जायेंगे और तुम कुद कर सबके आगे पहुँच जाओगे। जो अपना उध्दार में लगे हुए हैंवे न तो अपना उद्धार ही कर सकेंगे और न दूसरों का। ऐसा शोर - गुल मचाओ की उसकी आवाज़ दुनिया के कोने कोने में फैल जाय। कुछ लोग ऐसे हैंजो कि दूसरों की त्रुटियों को देखने के लिए तैयार बैठे हैंकिन्तु कार्य करने के समय उनका पता नही चलता है। जुट जाओअपनी शक्ति के अनुसार आगे बढो।इसके बाद मैं भारत पहुँच कर सारे देश में उत्तेजना फूँक दूंगा। डर किस बात का हैनहीं हैनहीं हैकहने से साँप का विष भी नहीं रहता है। नहीं नहीं कहने से तो 'नहींहो जाना पडेगा। खूब शाबाश! छान डालो - सारी दूनिया को छान डालो! अफसोस इस बात का है कि यदि मुझ जैसे दो - चार व्यक्ति भी तुम्हारे साथी होते -                                                                                                                                .....स्वामी विवेकानन्द